सांसद एवं दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी कैसे बने दिल्ली में पुर्वांचलियो के नेता
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आज की तारीख कौन है जो मनोज तिवारी को नहीं जानता .जी हां वही मनोज तिवारी जो कभी भोजपुरी फिल्मों में बतौर एक्टर के तौर पर मशहूर थे लेकिन आज उनको दुनियां एक्टर होने के साथ एक सांसद और देश की सबसे बडी पार्टी बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी जानती है ..
मनोज तिवारी दिल्ली का राजनीति का वह नाम हैं जिसे उनके गानों के जरिए पूरे भारत में सुना जाता है. फिलहाल पिछले कुछ सालों से यह भोजपुरी चेहरा दिल्ली की राजनीति में अपने वजूद की लड़ाई रहा है. वह उत्तरी-पूर्वी दिल्ली सीट से दूसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं.
फिल्मों में काम करने से पूर्व मनोज तिवारी ने तकरीबन दस साल तक भोजपुरी गायक के रूप में काम किया. इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि भोजपुरी और हिंदी भाषाओं में मनोज तिवारी ने 4,000 से अधिक गाने गाए हैं. 2003 में मनोज ने अभिनय में भी हाथ आजमाया और उनकी पहली फिल्म ने ही रिकॉर्ड तोड़ दिया.
एक मुख्य अभिनेता के रूप में उन्होंने करीब 75 भोजपुरी फिल्मों और कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया है. अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर का सबसे ज्यादा पसंद किया गया गाना ‘जिया हो बिहार के लाला’ भी मनोज तिवारी ने ही गाया था. फिल्मों में योगदान के लिए मनोज तिवारी को कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है.
बड़े परदे पर ही नहीं मनोज ने छोटे पर्दे पर भी दमदार प्रस्तुतियां दी हैं. मनोज ने कई टीवी-शो की मेजबानी की है. 2010 में मनोज तिवारी ने प्रतिभागी के तौर पर रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ के सीजन 4 में भी हिस्सा लिया था. उस सीजन में डॉली बिन्द्रा से हुई उनकी लड़ाइयां आज तक याद की जाती हैं. डॉली से लड़ाई के अलावा बिग बॉस के दौरान श्वेता तिवारी के साथ उनकी नजदीकियों ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थीं. मनोज और उनकी पत्नी रानी तिवारी के बीच अलगाव की यह भी एक सबसे बड़ी वजह बताई जाती रही है.

अब आपको बताते है राजनीतिक सफ़र के बारे में ..2009 में अपना पहला चुनाव लड़े थे मनोज तिवारी
मनोज तिवारी सन 2011 में बाबा रामदेव द्वारा रामलीला मैदान पर शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और अन्ना आंदोलन में भी सक्रिय रहे. 2009 में मनोज तिवारी ने गोरखपुर लोकसभा सीट से बतौर समाजवादी पार्टी उम्मीदवार हिस्सा लिया लेकिन बीजेपी उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ से चुनाव हार गए.
मनोज तिवारी दिल्ली में बीजेपी की वो उम्मीद थे जो विधानसभा चुनाव में बेहद अहम भूमिका निभा सकते थे. इसी वजह से पिछले विधानसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले 3 अक्टूबर 2013 को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें सदस्यता ग्रहण करवाई. लोगों का मानना था कि ऐशा सिर्फ पूर्वांचल के 30 लाख से ज्यादा मतदाताओं को लुभाने के लिए किया गया था. गौरतलब है कि दिल्ली की 70 विधानसभाओं में करीब 15 सीटों पर पूर्वांचली वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं.
मनोज तिवारी तिवारी ने तत्कालीन दिल्ली चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी की मौजूदगी में बीजेपी ज्वाइन की थी. हालांकि उस विधानसभा चुनावों में बीजेपी कुछ बेहतर नहीं कर पाई लेकिन शाह-मोदी की जोड़ी ने फिर भी मनोज तिवारी की काबलियत पर अपना भरोसा जताया. 2014 के आम चुनावों में मनोज तिवारी उत्तर पूर्वी दिल्ली लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार घोषित किए गए और मोदी लहर और पूर्वांचली वोटर के बदौलत चुनाव जीत गए.

नवंबर 2016 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली प्रदेश बीजेपी की बागडोर मनोज तिवारी को सौंप दी और राज्य में पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा दिया गया. माना जाता है कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह पूर्वांचल के लोगों की आबादी दिल्ली में बढ़ी है उसको ध्यान में रखते हुए ही यह फैसला लिया गया था. बीजेपी का यह फैसला काफी हद तक कारगर भी साबित हुआ.2017 में हुए एमसीडी चुनावों में बीजेपी ने अपना परचम लहराया. उसके बाद 2019 के चुनावों में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटें जीत लीं. 2019 में ही मनोज तिवारी भी दूसरी बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे. इस बात ने यह साबित कर दिया कि कई विधानसभा चुनावों में हार खाकर थक चुकी पार्टी में मनोज तिवारी ने नई जान फूंक दी थी.
मनोज तिवारी की असली परीक्षा अब इन दिल्ली विधानसभा चुनावों में है जहां आम आदमी पार्टी हैट्रिक बनाने के लिए पूरी तरह आश्वस्त है तो कांग्रेस सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर उपजी नाराजगी को भुनाने की पूरी फिराक में है.
दिल्ली विधानसभा चुनावो में नेता अभिनेता मनोज तिवारी बहुत मेहनत कर रहे है लेकिन देखना होगा कि दिल्ली की जनता ने क्या मन बनाया हुआ है जिसका थोडा इंतजार करना पडेगा..
