December 11, 2025

पूर्वांचल की बात

नहीं रहे ‘मसालों के राजा’, 98 साल की उम्र में महाशय धर्मपाल गुलाटी का निधन

1 min read

असली मसाले सच-सच…MDH- MDH… ये स्लोगन और इसके विज्ञापन को देखते हुए बढ़े हुए। सालों से इस विज्ञापन में नजर आने वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी अब इस दुनिया में नहीं रहे। आज सुबह 98 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। कुछ दिन पहले वो कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। इलाज के बाद वो ठीक हो गए थे लेकिन गुरुवार सुबह  हार्ट अटैक आया जिसके बाद उनका निधन हो गया। पिछले साल उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

‘एमडीएच अंकल’, ‘दादाजी’, ‘मसाला किंग’, ‘मसालों के राजा’ के नाम से महाशय धर्मपाल गुलाटी को जाना जाता था । तांगेवाला से शुरू किया सफर 1500 करोड़ से ज्यादा का कारोबार अपने पीछे छोड़ गए हैं। वो मसाला ब्रांड ‘एमडीएच’ (महाशिया दी हट्टी) के मालिक और सीईओ थे।

Mahashian Di HattiMDH Masaala

धर्मपाल महाशय का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में 27 मार्च 1923 में हुआ था। 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आ गए। कुछ समय तक पूरा परिवार अमृतसर में शरणार्थी कैंप में रहा। इसके बाद दिल्ली शिफ्ट हो गए। चांदनी चौक में धर्मपाल जी ने एक तांगा खरीदा । करीब 2 महीने तक दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड और करोल बाग से बारा हिंदू राव तक तांगा चलाते थे। प्रति सवारी उन्हें दो आना मिलता था। इस काम में उनका मन नहीं लगा फिर उन्होंने करोल बाग में मसाले की एक छोटी सी दुकान खोली और फिर से अपने परिवार के व्यवसाय को शुरू किया। धीरे-धीरे उनका व्यापार चल पड़ा और उनको फायदा होने लगा। इसके बाद उन्होंने 1953 में चांदनी चौक में एक और दुकान खोल दी और यहां भी मसाले बेचना शुरू किया। इस दुकान का नाम रखा ‘महाशियां दी हट्टी’। ये दुकान तब से MDH के नाम से जाने जानी लगी। साल 1959 में उन्होंने कीर्ति नगर में जमीनी खरीदी और MDH की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना की। और यहां से MDH को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने की शुरुआत ।

93 साल पुरानी इस कंपनी के मसाले देश के साथ-साथ विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं जिसमें यूके, यूरोप, यूएई, कनाडा जैसे देश शामिल हैं। मौजूदा समय में 50 तरह के मसाले का निर्माण MDH करती है। देशभर में MDH की 15 फैक्ट्रियां हैं।

साल 2017 में भारत में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले FMCG यानि फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स सीईओ बने। अपनी कंपनी का प्रचार खुद करते थे।

महाशय धर्मपाल गुलाटी अपनी सैलरी का 90 फीसदी हिस्सा दान कर देते थे। अपने पिता के नाम पर उन्होंने चैरिटेबल ट्रस्ट भी खोला है। ये ट्रस्ट 250 बेड के अस्पताल के साथ-साथ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों और चार स्कूलों के लिए एक मोबाइल अस्पताल भी चलाता है।

इतनी उम्र होने के बाद भी कंपनी से जुड़े सभी बड़े फैसले लेते थे। ईमानदारी से काम, गुणवत्ता वाले उत्पाद,सस्ती कीमत को अपनी कंपनी और उत्पाद के लिए इन तीन बातों को अहम मानते थे। गुलाटी कंपनी में लगभग 80 प्रतिशत हिस्सेदारी के मालिक थे। वो नियमित रूप से अपने कारखाने और बाजार का दौरा करते थे जिससे सब ठीक से चल रहा है ये सुनिश्चित कर सकें।

धर्मपाल गुलाटी ने सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की हो । उन्हें भले ही किताबी ज्ञान ज्यादा ना हो लेकिन बिजनेस क्षेत्र में बड़े-बड़े दिग्गज उनका लोहा मानते थे। उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज एड स्टार माना जाता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.