पॉलिसी-पॉलिटिक्स में अंतर हो सकता है लेकिन राष्ट्रहित में संवाद होना चाहिए- पीएम मोदी
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पीएम मोदी ने नए भारत की नई संसद का भूमि पूजन किया। इस दौरान पीएम ने देश को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र जो संसद भवन के अस्तित्व का आधार है। उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है। हमें ये हमेशा याद रखा है कि संसद आया हर प्रतिनिधि जवाबदेह है। ये जवाबदेही जनता और संविधान के प्रति भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि‘सिख गुरु नानक देव ने सीख दी थी कि जब तक दुनिया रहे, तब तक संवाद चलते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पॉलिसी और पॉलिटिक्स में अंतर हो सकता है लेकिन हम जनता की सेवा के लिए हैं, इस आखिरी लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए । वाद-संवाद संसद के अंदर हो या बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण दिखते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना से ही होना चाहिए हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए। राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धी के लिए हम एक स्वर में खड़े हों ये बहुत जरूरी है। हमारे लिए देश के संविधान की मान-मर्यादा और अपेक्षाओं की पूर्ति जीवन का सबसे बड़ा ध्येय होगी । प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें, हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए।

